ETF और म्यूचुअल फ़ंड में अंतर क्या हैं आईये जानें

Category : मनी टिप्स | Sub Category : Market Posted on 2025-06-24 07:03:03


ETF और म्यूचुअल फ़ंड में अंतर क्या हैं आईये जानें

ETF के जाल से आपको बचना चाहिए

ETF में एक्सपेंस रेशियो और प्रदर्शन से भी ज़्यादा अहम मीट्रिक लिक्विडिटी हो सकती है


ज़्यादातर निवेशक ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फ़ंड) का चुनाव इंडेक्स, एक्सपेंस रेशियो या पिछले रिटर्न के आधार पर करते हैं. लेकिन एक और फ़ैक्टर है जो आपके ETF निवेश के अनुभव को बेहतर कर सकता है या बिगाड़ सकता है, वो है लिक्विडिटी. असल में, सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला ETF भी ख़राब निवेश में तब्दील हो सकता है, अगर आप उसे आसानी से बेच नहीं पाते हैं. ये आपके लिए ख़ासतौर पर ध्यान देने वाली बात है!


 लिक्विडिटी क्या है? 

नए निवेशकों के लिए बता दें, लिक्विडिटी ये बताती है कि आप स्टॉक एक्सचेंज पर किसी ETF को कितनी आसानी से और जल्दी से ख़रीद या बेच सकते हैं. अगर ट्रेडिंग वॉल्यूम कम है, तो आपको बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. इससे भी बदतर स्थिति तब हो, अगर बाज़ार में ख़रीदार कम हैं. ऐसे में आपको कम क़ीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.


ETF और म्यूचुअल फ़ंड में अंतर


म्यूचुअल फ़ंड में आप सीधे फ़ंड हाउस के साथ संबंधित दिन के NAV (नेट एसेट वैल्यू) पर लेन-देन करते हैं. लेकिन ETF में, आप स्टॉक एक्सचेंज पर यूनिट्स ख़रीदते या बेचते हैं. इसीलिए ETF में लिक्विडिटी आपके निवेश अनुभव का एक ख़ास हिस्सा है.


तो, ETF असल में कितने लिक्विड हैं? आइए इसे कैटेगरी के आधार पर समझते हैं और देखते हैं कि कौन से ETF आसानी से ट्रेड किए जा सकते हैं और कौन से आपके पैसे को फंसा सकते हैं.

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