Category : बड़ी खबर | Sub Category : नेशनल Posted on 2020-06-23 07:44:57
कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में चीन की घेरेबंदी के बाद पिछले दिनों मोदी सरकार ने भी कुछ ज़रूरी कदम उठाए. इसके तरत सरकार ने चीन से मंगाए जाने वाले बहुत से सामानों को दूसरे देशों से मंगाने के विकल्प पर काम करना शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार टेक्सटाइल फैब्रिक, रेफ्रीजिरेटर और सूटकेस से लेकर एमोक्सिसिलिन एरिथ्रोमाइसिन और मेट्रोनिडाजोल जैसे एंटीबायोटिक्स, विटामिन और कीटनाशक सहित 1050 सामानों के लिए चीन का ऑप्शन ढूंढ रही है. सरकार पूरी दुनिया से इन सामानों की आपूर्ति करने पर ध्यान दे रही है. माना जा रहा है कि चीन की वजह से ही पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला. शुरूआत में चीन ने इससे जुड़ी जानकारी छिपाई, जिसके चलते दुनिया भर के देशों के सामने कोरोना वायरस बड़ी चुनौती गया है. इसके बाद से ज़्यादातर देश चीन के अपने आयात को कम करने पर लगे हैं. अगर ऐसा होता है तो इससे चीन को बड़े आर्थिक नुकसान झेलने पड़ सकते हैं.
भारत में चीन से और भी बहुत सारे प्रोडक्ट्स का आयात किया जाता है, जिनमें स्वचालित डेटा प्रोसेसिंग मशीन, डायोड और सेमीकंडक्टर डिवाइस, ऑटो पार्ट्स और कई स्टील और एल्यूमीनियम आइटम और मोबाइल फोन शामिल हैं। इस मामले में वाणिज्य विभाग दुनिया भर में इन सामानों के संभावित आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करने के लिए दुनिया भर में भारतीय मिशनों को पत्र भेजे हैं।
भारत को अपनी इस कोशिश में कुछ देशों से सकारात्मक जवाब मिला है। एंटीबायोटिक्स की आपूर्ति के लिए इटली और स्विटजरलैंड की पहचान की गयी है। ये दोनों देश चीन के साथ प्रमुख निर्यातकों में से हैं। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल फोन और इनके इनपुट के लिए विकल्प ढूंढना बहुत मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इस सेक्टर में चीन का दबदबा और हिस्सेदारी बहुत अधिक है। इसके अलावा बात यह भी है कि केवल भारत ही नहीं बल्कि और भी देश इसी तरह की समस्या का हल तलाशने में लगे हुए होंगे, जिससे स्थिति आसान नहीं होगी।
किन क्षेत्रों पर ज्यादा असर वाणिज्य विभाग की तरफ से की गयी विस्तृत चर्चा के बाद एक शुरुआती विश्लेषण से पता चला है कि फार्मा और रसायन, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सफेद वस्तुओं और प्लास्टिक के मामले में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। इनके लिए भारत आयात के लिए चीन पर निर्भर करता है। वहीं कपड़ा यार्न, कुछ कार्बनिक रसायन और रत्न और आभूषण जैसे अन्य क्षेत्रों में निर्यात पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि चीन और हांगकांग इन उत्पादों के प्रमुख खरीदार हैं।