जानें Amazon कंपनी के मालिक बेजोस की फर्श से अर्श तक की कहानी

Category : सक्सेस स्टोरीज | Sub Category : Television Posted on 2020-01-15 06:46:33


जानें Amazon कंपनी के मालिक बेजोस की फर्श से अर्श तक की कहानी

दुनिया के सबसे अमीर शख्स और Amazon इंक के CEO जेफ बेजोस (Jeff Bezos) भारत दौरे पर आज आ गए हैं. भारत आने के बाद उन्होंने दिल्ली के राजघाट में महात्मा गांधी मेमोरियल का दौरा किया और बापू को श्रद्धांजलि दी. न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि नई दिल्ली में लघु एवं मध्यम उद्यमियों (Small and Medium Entrepreneurs) के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है बेजोस इस कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं.


आइए आपको बताते हैं बेजोस की फर्श से अर्श तक की कहानी.. 


अगर आपके पास दूर की सोच है और जीवन में बड़े निर्णय लेने से नहीं चूकते तो आप भी एक सफल बिजनेसमैन बन सकते हैं. दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन डॉटकॉम के सीईओ जेफ बेजोस इन्हीं चीजों को फोलो करते हुए आगे बढ़े हैं. बेजोस के पास 8.29 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है, जबकि उनकी कंपनी अमेजन का मूल्य 66.32 लाख करोड़ रुपए है.

नौकरी छोड़कर शुरू की थी कंपनी: जब जेफ बेजोस नौकरी छोड़कर अमेजन शुरू करने के बारे में सोच रहे थे, तब उन्हें न्यूनतम पश्चाताप की नीति के आधार पर निर्णय लिया. उन्होंने सोचा कि 80 साल की उम्र में उन्हें नौकरी छोड़ने का अफसोस नहीं होगा, लेकिन इस बात का अफसोस जरूर होगा कि उन्होंने ऑनलाइन गोल्ड रश से फायदा नहीं उठाया. ये बात उन्होंने कई बार अपने इंटरव्यू में कही है.

1994 में शुरू की थी कंपनी: जेफ बेजोस ने जुलाई 1994 में अपनी कंपनी की स्थापना की और 1995 में इसकी शुरुआत की. बेजोस पहले तो इसका नाम केडेब्रा डॉट कॉम रखना चाहते थे, लेकिन 3 महीने बाद उन्होंने इसका नाम बदलकर अमेजन डॉट कॉम कर दिया.अमेजन नदी के नाम पर रखा कंपनी का नाम: उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी नदी अमेजन का नाम इसलिए चुना, क्योंकि वो दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन बुक सेलर कंपनी बनना चाहते थे. उनकी वेबसाइट ऑनलाइन बुकस्टोर के रूप में शुरू हुई, लेकिन बाद में डीवीडी, सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े भी बेचने लगे.

शुरुआती पूंजी माता-पिता से मिली थी: अमेजन कंपनी गैराज में शुरू हुई थी वह भी केवल 3 कंप्यूटर से ऑनलाइन बिक्री का सॉफ्टवेयर खुद बेजोस ने बनाया था.  तीन लाख डॉलर की शुरुआती पूंजी उनके माता-पिता ने लगाई. कंपनी की स्थापना के वक्‍त उनके पिता ने उनसे पहला सवाल यह पूछा था, इंटरनेट क्या होता है? इस पर उनकी मां ने जवाब देते हुए कहा था कि हमने इंटरनेट पर नहीं जेफ पर दांव लगाया है.

शुरुआत में बुक बेचते थे: 16 जुलाई 1995 को जेफ बेजोस ने अपनी वेबसाइट पर बुक बेचना शुरू किया. पहले ही महीने में अमेजन ने अमेरिका के 50 राज्यों और 45 अन्य देशों में बुक्स बेच डाली, लेकिन ये काम आसान नहीं था. जमीन पर घुटनों के बल बैठकर किताबों को पैक करना पड़ता था और पार्सल देने के लिए खुद भी जाना पड़ता था.  बेजोस की मेहनत रंग लाई और सितंबर 1995 तक हर सप्ताह 20,000 डॉलर की बिक्री होने लगी.

2007 में आया बड़ा मोड़: नवम्बर 2007 में कंपनी ने महत्वपूर्ण मोड़ लिया, जब अमेजन ने अमेजन किन्डल नाम ई-बुक रीडर बाजार में उतारा, जिसके माध्यम से पुस्तक को तुरंत डाउनलोड करके पढ़ा जा सकता था. इससे कंपनी को बड़ा प्रॉफिट हुआ. इससे एक तो किन्डल की बिक्री बढ़ी, दूसरे किन्डल फॉर्मेट में पढ़ी जाने वाली बुक्स की बिक्री भी बढ़ी. ग्राहकों के लिए ये बहुत सुविधाजनक था, क्योंकि अब उन्हें बुक के आने का इन्तजार नहीं करना पड़ता था और मनचाही बुक मिनटों में उनके पास आ जाती थी.


ऐसे बढ़ा कंपनी का रेवेन्यु: नेट बैंकिंग का युग शुरू हुआ. इसका सबसे ज्यादा फायदा जेफ बेजोस ने उठाया. उनकी इस क्रांति ने कंपनी का रेवेन्यू 1997 के 1 करोड़ डॉलर से बढ़कर 12 हजार करोड़ डॉलर हो गया है.

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