जैक मा 55 की उम्र में चेयरमैन पद से रिटायर हुए

Category : सक्सेस स्टोरीज | Sub Category : celebrity Posted on 2019-09-10 11:06:17


जैक मा 55 की उम्र में चेयरमैन पद से रिटायर हुए

तीन लाख करोड़ रुपए की नेटवर्थ वाले जैक मा 55 की उम्र में चेयरमैन पद से रिटायर हुए
अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा ने आज मंगलवार को दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी का चेयरमैन पद छोड़ दिया। ये चीन के सबसे धनी उद्यमी हैं। उन्होंने अपनी 55वीं वर्षगांठ पर यह अपना पद छोड़ा। मा के उत्तराधिकारी खोजने की प्रक्रिया एक साल पहले शुरू हुई थी। मा हालांकि अलीबाबा पार्टनरशिप के सदस्य बने रहेंगे। अलीबाबा पार्टनरशिप 36 सदस्यीय समूह है, जिसके पास कंपनी के अधिकतर निदेशकों को नामित करने का अधिकार है। फोर्ब्स की सूची के मुताबिक अलीबाबा 480 अरब डॉलर के मार्केट कैपिटलाइजेशन के साथ दुनिया की 59वीं सबसे बड़ी कंपनी है।

पद छोड़ने के लिए शिक्षक दिवस का किया चुनाव
जैक मा ने अलीबाबा का एक्जीक्यूटिव चेयरमैन पद छोड़ने के लिए 10 सितंबर का चुनाव किया। चीन में इस तिथि को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह मा की 55वीं सालगिरह भी है। गौरतलब है कि मा पहले अंग्रेजी के शिक्षक थे।

दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ग्रुप के सह संस्थापक और चेयरमैन जैक मा अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर को लेकर चिंतित हैं। विश्व व्यापार संगठन के सेमिनार में स्पीच देते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच यह युद्ध तकरीबन 20 साल तक चलने की आशंका है और इसके परिणाम गंभीर होंगे। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ चीन और अमेरिका बल्कि कई देशों के छोटे कारोबारी तबाह हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इसका हल निकालना होगा वरना इससे सबको नुकसान होगा।

व्यापार नहीं होगा तो बनेगी युद्ध की स्थिति

जैक मा ने कहा कि जब व्यापार बंद हो जाता है तो कई बार युद्ध शुरू हो जाता है। इसलिए युद्ध को रोकने का तरीका है व्यापार करते रहना। व्यापार विश्वास बढ़ाने का तरीका है। यह एक-दूसरे से लड़ने का औजार नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापार को रेगुलेटर्स से बचाने की जरूरत है।

क्यों लड़ रहे हैं चीन-अमेरिका?

मैन्युफैक्चरिंग के मामले में चीन दुनिया में बेताज बादशाह है। छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी हर चीज को कम लागत में तैयार करने में चीन माहिर है। यही वजह है कि दुनियाभर के बाजारों में स्वदेशी उत्पादों की बजाय चीनी उत्पादों की बिक्री ज्यादा होती है। दूसरी तरफ अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन, अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डाेनाल्ड ट्रंप अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी के लिए दोनों देशों के बीच व्यापार में असंतुलन को दोषी मानते हैं। यही वजह है कि मार्च में डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर अत्यधिक टैरिफ लागू किया। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगा दिया।

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